शिमला, 30 जुलाई, 2022 । हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 30 जुलाई 2022 को HIPA शिमला में पर्यावरण प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण पर दूसरे दिन का प्रशिक्षण का आयोजन किया। यह शायद किसी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण पर पहला सर्टिफिकेट कोर्स और नूतन पहल है। दूसरे दिन की शुरुआत डॉ. डी.के. शर्मा, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के (प्रधान) वरिष्ठ पर्यावरण अभियंता (सेवानिवृत्त) ने शहरीकरण की चुनौतियों और सीवेज प्रबंधन और प्रदूषित नदी खंड के संबंध में जल संसाधनों पर प्रस्तुति दी।
उन्होंने कहा कि सभी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है, इसलिए नदियों का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पहचाने गए प्रदूषित नदी के हिस्सों और जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कानूनी ढांचे के बारे में बताया। विशाल कुमार सीईओ, वेस्ट वारियर सोसाइटी देहरादून ने पहाड़ी राज्यों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अनुभवों पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने आगे 28 जुलाई 2022 को ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क द्वारा आयोजित अर्थ ओवरशूट डे के बारे में बताया। अर्थ ओवरशूट डे दुखद तारीख को चिह्नित करता है जब किसी दिए गए वर्ष में पारिस्थितिक संसाधनों और सेवाओं के लिए मानवता की मांग उस वर्ष में पृथ्वी के पुनः उत्पन्न करने की क्षमता से अधिक है।
डॉ. सुनीत गंजू, नोडल अधिकारी, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवा विभाग, हिमाचल प्रदेश सरकार ने कोविड-19 महामारी के संदर्भ में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन पर एक प्रस्तुति दी और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला । इसके बाद चंदन सिंह, AEE, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में उभरती चुनौतियों पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें अधिसूचित सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कंपोस्टेबल कैरी बैग के उपयोग और ईपीआर के सत्यापन पर ध्यान दिया गया।
अपूर्व देवगन (आईएएस) सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यशाला में ऑनलाइन शामिल हुए और उन्हों सरकार की नवीनतम अधिसूचना के जानकारी के साथ-साथ प्रतिभागियों के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया। हिमाचल प्रदेश का दिनांक 23 जुलाई 2022 के अधिसूचना के सन्दर्भ में उन्होंने प्रतिभागियों से इच्छा व्यक्त की कि उल्लंघनकर्ताओं का चालान करना अधिसूचना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्रो. (डॉ.) मुकेश शर्मा, आईआईटी कानपुर ने बायोमास जलाने, ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण और शमन के संदर्भ में वायु प्रदूषण नियंत्रण और प्रबंधन को प्रमुखता से प्रस्तुति दी। अंत में उन्होंने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के बारे में विस्तार से बताया।
तरूल आर. रवीश (आईएएस) – विशेष सचिव (पीडब्ल्यूडी) हिमाचल प्रदेश ने पैनल चर्चा की अध्यक्षता की और आगे का रास्ता सुझाया। पैनलिस्टों में राहुल कुमार (आईएएस) – सीईओ, हिमु-उर्जा, ज्योति राणा (एचएएस) – संयुक्त निदेशक, HIPA और प्रो. (डॉ.) मुकेश शर्मा आईआईटी कानपुर ने भाग लिया। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण और अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों को अधिक विस्तार से बताया। अपूर्व देवगन (आईएएस) सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ऑनलाइन कार्यशाला में शामिल हुए और समापन टिप्पणी दी। उन्होंने आगे एकल उपयोग वाले प्लास्टिक और पुराने कचरे के विशेष संदर्भ में ठोस कचरे के उचित पृथक्करण और निपटान की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट और प्लास्टिक अपशिष्ट के विभिन्न नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन में कई अड़चनें हैं, फिर भी हमें पर्यावरण कानूनों के प्रावधानों के अनुसार अपने कचरे का प्रबंधन करने और अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की आवश्यकता है। डॉ. आर.के. नड्डा के मुख्य पर्यावरण अभियंता ने अपशिष्ट प्रबंधन और उसके नियमों के बारे में राज्य बोर्ड के दृष्टिकोण को बताया और गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।