शिमला, 29 जुलाई, 2022 । हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 29 जुलाई 2022 को HIPA फेयरलॉन शिमला में पर्यावरण प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण पर पहले दिन का दो-दिवसीय प्रशिक्षण/कार्यशाला का आयोजन किया। इस प्रशिक्षण में जिला प्रशासन से एडीसी, एसडीएम, बीडीओ और राज्य भर के शहरी स्थानीय निकायों के कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया। प्रबोध सक्सेना (आईएएस) अतिरिक्त मुख्य सचिव (EST) हिमाचल प्रदेश सरकार सह
अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों का पर्यावरण प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर मार्गदर्शन किया। इस मौके पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन ललित जैन (आईएएस) निदेशक, पर्यावरण विभाग हिमाचल प्रदेश भी मौजूद रहे।
प्रबोध सक्सेना (आईएएस) ने कहा कि राज्य, 1995 में हिमाचल प्रदेश बायोडिग्रेडेबल अधिनियम को लागू करने में अग्रणी रहा है। हिमाचल प्रदेश प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर राज्यव्यापी प्रतिबंध लगाने वाला पहला राज्य है। इसके अलावा राज्य नदी प्रणाली में पारिस्थितिक प्रवाह को बनाए रखने के लिए सभी जल विद्युत परियोजनाओं के लिए 15 प्रतिशत अनिवार्य प्रवाह निर्वहन लागू करने वाला भी पहला राज्य बन गया। उन्होने कहा प्रशिक्षण कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण कानूनों के बारे में अधिकारियों, निर्णय निर्माताओं और अन्य हितधारकों को जगरूक करना है क्योंकि पर्यावरणीय मुद्दे दिन-ब-दिन जटिल होते जा रहे हैं।
इसलिए पर्यावरण कानूनों को आने वाले समय में अधिक प्रमुखता मिलेगी और उन्हें अक्षरश: लागू करना पर्यावरण नियामकों और प्रबंधकों के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा। राज्य बोर्ड प्रशिक्षण और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का ज्ञानवर्धन करेंगे। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों या उससे ऊपर के विज्ञान शिक्षकों को पर्यावरण कानूनों पर प्रशिक्षण देना भी प्रस्तावित है ताकि छात्रों को पर्यावरण कानूनों के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 1 जुलाई 2022 से चुनिंदा सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, बिक्री और उपयोग पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगा दिया है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने 22 जुलाई 2022 को हिमाचल प्रदेश बायोडिग्रेडेबल एक्ट 1995 के तहत एक अधिसूचना भी जारी की है और एकल प्लास्टिक प्रतिबन्ध के उल्लंघन करने वालों का चालान करने के लिए विभिन्न विभागों के कई अधिकारियों को भी अधिकृत किया है। । वर्तमान कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को संवेदनशील बनाना है ताकि उपरोक्त अधिसूचना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
पहले दिन के प्रशिक्षण की शुभारंभ ज्योति राणा (एचएएस), संयुक्त निदेशक, HIPA शिमला, आर.एन. जिंदल (सेवानिवृत्त) पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार और मुख्य पर्यावरण अभियंता हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके पश्चात्, डॉ. आर.के. नड्डा मुख्य पर्यावरण अभियंता, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मुख्य-अतिथि तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया। संयुक्त निदेशक HIPA ने जोर दिया कि वायु और जल प्रदूषण के प्रभावी नियंत्रण और उचित अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में योगदान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
आर.एन. जिंदल निदेशक ने जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1974 और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1981 पर ध्यान देने के साथ पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कानूनी ढांचे पर प्रस्तुति के साथ पहला सत्र शुरू किया। । उन्होंने बाद में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 और उसके तहत बनाए गए नियमों को भी अधिक विस्तार से समझाया। इसके बाद प्रतिभागियों को हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (नार्थ डिस्पोजल शिमला) और सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटी (भर्याल) के एक्सपोजर विजिट पर ले जाया गया।