शिमला, 03 जनवरी, 2023 । प्रदेश में आजकल शरद ऋत्रु में लगने वाले पौधों की रोपाई का कार्य चल रहा है। जिसके लिऐ बागवान अपनी आवश्यकता अनुसार फल पौधे कार्य कर रहे है। देखा गया है कि कुछ नर्सरी उत्पादकों ने अपनी फल पौध की नर्सरी उद्यान विभाग के पास पंजीकृत नहीं करवाई है, तथा वह निम्न गुणवता वाले पौधे बागवानों को विक्रय कर रहे हैं। अतः वरिष्ठ पौध संरक्षण अधिकारी एवं सक्षम प्राधिकारी, हि0प्र0 फल पौध पौधशाला पंजिकरण एक्ट 2015 डा0 के. के. सिन्हा ने बागवानों से आग्रह किया है कि व गैर पंजिकृत पौधशालाओं व सड़क किनारे बिना किसी उपयुक्त दस्तावेज़ के बेचे जा रहे फल पौधों को न खरीदें क्योंकि इनकी गुणवता का कोई आधार नहीं होता।
फलवस्वरूप बागवान को नुकसान हो सकता है क्योंकि 2 से 5 साल की मेहनत के बाद बागवान को पौधों में फल आने पर इसका पता चलता है। विभाग सभी बागवानों को आयतित एवं अन्य उच्च गुणवता वाले पौधें बागवानों को उपने क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से पहले आओ-पहले पाओ के अधार पर उपलब्ध करवा रहा है। विभाग द्वारा अवैध रूप से फल पोधे बेचने वालों पर नियमानुसार कार्यवाही
करने हेतु सभी क्षेत्राधिकारियों को निदेशक उद्यान द्वारा अधिकृत किया गया है तथा इसके अतिरिक्त प्रदेश के बाहर से प्रदेश में अवैध एवं बिना उचित दस्तावेजों के पौधे लाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है जिसके लिए प्रदेश के हर प्रवेश द्वार पर ऐसे पौधों की खेप को रोकने हेतू सम्बन्धित अधिकारी कर्मचारियों को निर्देष जारी किये गये है क्योंकि संभावना है कि फायटोप्लाजमा जैसी बिमारी प्रदेश में आडू व चैरी के पौधों में बाहर से आने वाले पौधों के कारण फैल रही है। इसी प्रकार यदि कोई अन्य बिमारी सेब तथा अन्य पौधों में आ गई तो प्रदेश की बागवानी का भविश्य संकट में आ सकता है।
इसलिए उद्यान विभाग सभी बागवानों से आग्रह करता है कि वह कोई भी फल पौधे का क्रय करने से पहले सुनिश्चित कर ले कि वह रोगमुक्त है व इसे किसी विश्वस्त पंजीकृत पौधषाला से ही क्रय करें। क्रय करने उपरान्त इसका बिल भी सम्बन्धित नर्सरी मालिक से प्राप्त करें ताकी खराब पौधे मिलने की स्थिति में इसकी भरपाई हेतू आगामी कार्यवाही की जा सके।